चलती का नाम ज़िंदगी है,
आज थम सी गई है।
आज थम सी गई है।
मदहोशी थी आँख में पहले,
आज नम सी गई है।
आज नम सी गई है।
हैवानियत का जो आलम था,
नब्ज वो जम सी गई है।
नब्ज वो जम सी गई है।
हो रही है पृथ्वी हलकी,
भावना ये रम सी गई है।
भावना ये रम सी गई है।
सपनो की वो दुनिया हमारी,
कहाँ छम सी गई है।
कहाँ छम सी गई है।
0 Comments